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A bridge in Delhi suddenly : मंगलवार रात करीब 11 बजे, राजधानी दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित एक पुराना पुल अचानक भरभराकर गिर गया। इस हादसे ने स्थानीय लोगों के बीच हड़कंप मचा दिया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंच गए और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।
घटना के समय पुल से कई वाहन गुजर रहे थे, जिसमें से तीन गाड़ियां और एक ऑटो पुल के मलबे में दब गए। गनीमत रही कि पुल के नीचे से कोई ट्रेन या बड़ी भीड़ नहीं गुजर रही थी, वरना स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी।
हादसे का स्थान और समय
यह हादसा दिल्ली–रोहतक रेलवे लाइन के पास स्थित पुराने लोहे के पुल पर हुआ, जो पिछले कई वर्षों से मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर हालत में था। स्थानीय लोगों ने कई बार इस पुल की स्थिति को लेकर अधिकारियों को अवगत कराया था, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया।
घायलों की संख्या और रेस्क्यू ऑपरेशन
इस हादसे में अब तक 6 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है, जिनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को पास के LNJP अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दिल्ली पुलिस और NDRF की टीमों ने रातभर मलबा हटाने का कार्य किया।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 5 घंटे तक चला और अब मलबे को पूरी तरह से हटा दिया गया है। क्रेन, जेसीबी और बचाव उपकरणों का उपयोग करके दबे हुए वाहनों और लोगों को निकाला गया।
पुल की स्थिति पर पहले से थी चेतावनी
स्थानीय निवासी और दुकानदारों ने मीडिया को बताया कि यह पुल काफी पुराना था और इसकी दीवारों में दरारें साफ दिखाई देती थीं। पिछले साल एक RTI के जरिए भी इस पुल की सुरक्षा पर सवाल उठाए गए थे। बावजूद इसके प्रशासन ने इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

प्रशासन और पुलिस का बयान
डीसीपी पश्चिम दिल्ली ने मीडिया को बताया कि हादसे की जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल घटना को लेकर FIR दर्ज की गई है और PWD विभाग से भी रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस का कहना है कि अगर लापरवाही पाई जाती है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ट्रैफिक और परिवहन पर असर
इस पुल के टूटने से आसपास के ट्रैफिक पर गहरा असर पड़ा है। कई रूट्स को डायवर्ट किया गया है और यात्रियों को भारी जाम का सामना करना पड़ रहा है। DTC ने वैकल्पिक रूट्स पर अतिरिक्त बसें चलाने का फैसला किया है।

स्थानीय लोगों की नाराजगी
हादसे के बाद स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। उन्होंने रात में ही प्रदर्शन शुरू कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाज़ी की। लोगों का कहना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलेगी और इस क्षेत्र की सड़क सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हादसा पूरी तरह से लापरवाही का नतीजा है। अगर समय पर पुल की जांच और मरम्मत की जाती, तो शायद आज यह स्थिति न बनती।
हर साल भारत में सैकड़ों ऐसे छोटे-बड़े पुलों की अनदेखी की जाती है, जो बाद में जानलेवा साबित होती है। यह एक बार फिर दिखाता है कि हमारे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की मेंटेनेंस को लेकर गंभीरता की भारी कमी है।
A bridge in Delhi suddenly
यह हादसा एक चेतावनी है — न सिर्फ दिल्ली प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए। यदि समय रहते जरूरी जांच और मरम्मत न की गई, तो ऐसे हादसे भविष्य में भी जानलेवा हो सकते हैं। जरूरत है सख्त नियमों, जिम्मेदार अधिकारियों और जवाबदेही की।