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A true story : उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक दिल को छू लेने वाली कहानी सामने आई है, जहां एक 60 वर्षीय बुज़ुर्ग पिता ने अपने गंभीर रूप से बीमार बेटे की जान बचाने के लिए फिर से ऑटो चलाना शुरू कर दिया। ये कहानी सिर्फ संघर्ष की नहीं है, बल्कि पिता के उस प्यार की है, जो हर मुश्किल को मात दे देता है।
बेटे की बीमारी और टूटता परिवार
रामधनी यादव, जो कभी शहर में ऑटो चलाकर अपने परिवार का पेट पालते थे, अब 5 साल से घर पर ही थे। उनका 27 वर्षीय बेटा, सूरज यादव, को अचानक एक गंभीर किडनी डिजीज डिटेक्ट हुई। डॉक्टर्स ने कहा कि समय रहते इलाज शुरू न हुआ तो जान का खतरा है। इलाज की लागत लगभग 6-7 लाख रुपये थी।

सरकार से मदद नहीं मिली, समाज भी मौन रहा
रामधनी ने पहले हर सरकारी सहायता का दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली। गांव के कुछ लोगों ने ₹500-₹1000 की मदद जरूर की, पर वह ऊंट के मुंह में ज़ीरा था। थक-हारकर रामधनी ने खुद ही कमाने का फैसला लिया।
A true story 60 की उम्र में फिर थामा ऑटो का हैंडल
रामधनी ने अपने पुराने ऑटो को फिर से ठीक करवाया और सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक ऑटो चलाना शुरू कर दिया। चाहे ठंड हो या गर्मी, वह दिन-रात पैसे जुटा रहे हैं ताकि अपने बेटे का इलाज करा सकें। “जब सूरज की माँ रोती है तो मैं उसे हौसला देता हूँ, लेकिन अंदर से मैं भी टूट चुका हूँ,” – रामधनी की आंखों से आंसू छलक पड़े।
लोगों की भी बदलने लगी सोच
रामधनी की इस मेहनत को देखकर अब इलाके के कुछ नौजवान सोशल मीडिया पर इस कहानी को वायरल कर रहे हैं। कुछ NGO और डॉक्टर्स ने भी संपर्क करना शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सूरज का इलाज शुरू हो पाएगा।
पिता का संदेश – “बेटा सब कुछ है”
रामधनी कहते हैं – “मेरे लिए दुनिया की सबसे बड़ी दौलत मेरा बेटा है। मैं बूढ़ा हो गया हूँ, लेकिन जब तक हाथ-पैर चल रहे हैं, मैं हार नहीं मानूंगा।”