ट्रंप के 25% टैरिफ पर भारत सरकार का कड़ा रुख, ‘राष्ट्रीय हित सर्वोपरि’

नई दिल्ली: Indian government takes a tough stand on Trump अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। सरकार ने इस मुद्दे पर एक मजबूत और संतुलित व्यापार समझौते पर ज़ोर दिया है, जिसमें किसानों, उद्यमियों और MSME सेक्टर के कल्याण को सर्वोपरि रखा गया है।

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है,
“भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों से एक निष्पक्ष, संतुलित और परस्पर लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। भारत सरकार अपने नागरिकों के हितों की रक्षा और संवर्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।”

ट्रंप का आरोप: रूस से व्यापार, रक्षा और ऊर्जा पर आपत्ति
ट्रंप ने अपने “ट्रुथ सोशल” पोस्ट में दावा किया कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में रक्षा उपकरण और ऊर्जा खरीदता है। इसी आधार पर उन्होंने 25% टैरिफ के साथ अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि भारत के रूस के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध अमेरिका के लिए चिंताजनक हैं।

भारत का जवाब: दबाव नहीं, नीति आधारित निर्णय
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की बैठक के बाद बयान जारी किया गया। भारत सरकार किसी भी प्रकार के दबाव में आकर निर्णय नहीं लेगी।
कृषि, रत्न-जवाहरात, फुटवियर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों की सुरक्षा की जाएगी। MSME सेक्टर को विशेष रूप से संरक्षित किया जाएगा ताकि छोटे व्यवसाय प्रभावित न हों।

भारत की रणनीति: विकल्पों की तलाश और नए बाजारों की ओर
सरकार ने संकेत दिया है कि वह केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं है। हाल ही में यूके के साथ सफल व्यापार समझौते की बात करते हुए, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत नए बाजारों और विकल्पों की तलाश में पहले से ही जुटा हुआ है।
“हम एक मजबूत स्थिति में हैं और अमेरिका के साथ भी उसी आत्मविश्वास से वार्ता करेंगे,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।

ट्रंप की राजनीति बनाम अर्थव्यवस्था की सच्चाई
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला “अमेरिका फर्स्ट” की उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। उनके घरेलू समर्थन में गिरावट और महंगाई को देखते हुए, उन्होंने विदेशी व्यापार को मुद्दा बनाया है।
लेकिन सच्चाई यह है कि इन टैरिफ का असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई और उपभोक्ता असंतोष बढ़ सकता है।

आगे का रास्ता: व्यापार वार्ता और कूटनीतिक प्रयास
सरकार का रुख स्पष्ट है: “भारत पहले” की नीति से कोई समझौता नहीं होगा। आगामी कैबिनेट बैठक में इस विषय पर गहन चर्चा की जाएगी। वाणिज्य मंत्री, विदेश मंत्री और मुख्य वार्ताकार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और अमेरिका के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।

भारत ने साफ कर दिया है कि वह दबाव की राजनीति में नहीं झुकेगा। अमेरिका को भी यह समझना होगा कि भारतीय उत्पादों की अमेरिका में मांग है और एकतरफा निर्णय व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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